शुक्रवार, 15 मार्च 2019

मिथिला चित्रकला और सुजनी कला के अंतरराष्ट्रीय पहचान भेटेलनि स्व० कर्पूरी देवी

फोटो : फोकार्टोपीडिया
जापान, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी समेत दुनिया के विभिन्न देशक लोग बिहारक मिथिला पेंटिंग के पसंद क रहल अछि। भारत मे एखन भले ही  एकर म्यूजियम नै बनल होय मुदा जापान मे मिथिला पेंटिंग के म्यूजियम बनी चुकल अछि। फ्रांस होय या जर्मनी ओतय आर्ट गैलरी मे मिथिला पेंटिंग लागल रहैत अछि। मिथिलाक अहि कला के अंतरराष्ट्रीय फलक पर प्रसिद्धि भेटेबा मे कर्पूरी देवी केर महत्वपूर्ण योगदान छनि।
 
मिथिला पेंटिंग के क्षेत्र मे देश नै दुनिया भरी मे जानल पहचानल नाम अछि कर्पूरी देवी ( Karpuri Devi )। 90 सालक अवस्था में मधुबनी में हिनक देहांत (7/2019) भ गेलनि। बृद्ध अवस्था भेलाक उपरांतो हिनक उत्साह में कमी नै छलनी और स्वर्गवास भेला सं किछ दिन पहिले धरि अपन कला के सृजन क रहल छलथि। दुनियाभरी मे मिथिलाक कला के सांस्कृतिक दूत के रूप मे पहुंचेबा मे हिनकर बरका योगदान छनि। जापान नौ बेर, अमेरिका दु बेर और फ्रांस एक बेरा जा चुकल छथि। मूल रूप सं मधुबनी जिला के रांटी गामक निवासी कर्पूरी देवी केर मिथिला चित्रकला के क्षेत्र मे उल्लेखनीय योगदान लेल राष्ट्रीय पुरस्कार भेट चुकल छनि। मिथिला पेंटिंग के संरक्षक जापानी व्यक्ति हाशिगावा के निमंत्रण पर पहिल बेर 1988 मे जापान गेल रहथी।

इहो पढ़ब:-

हाशिगावा जापान मे मिथिला म्यूजियम स्थापित केने छथि। एहिके उपरांत त बेसी काल जापान एनाय-जेनाय होइत रहलनी। बिहार के सुदूर ग्रामीण इलाका सं निकैल के विदेशी धरती के सफर अल्लुक नै छलनी। जहन पहिल बेर जापान जेबाक निमंत्रण भेटलनि त असमंजस मे छलथि जे जाय की नै जाय। भाषा के सेहो समस्या छलनी मुदा हिम्मत क आगू बढ़ली और विदेशी धरती पर मिथिला के अहि  लोक कला के पहचान भेटेबा मे अपन योगदान देलथी। आय जापान के संगे अमेरिका, फ्रांस आदि देशक आर्ट गैलरी मे हिनकर बनाओल मिथिला पेंटिंग भेट जाइत अछि।विदेशी लोग अपन अहि कला के भरपूर सम्मान दैइत अछि ओतय इ बहुते लोकप्रिय अछि।



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अपन रचनात्मक सुझाव निक या बेजाय जरुर लिखू !