ममता के छाहैर लेल सदिखन
आँचरक कोर पकरिने रहितौं,
तोहर स्नेह, दुलार पाबय लेल
माँ गई हम नेना रहितौं।
आँचरक कोर पकरिने रहितौं,
तोहर स्नेह, दुलार पाबय लेल
माँ गई हम नेना रहितौं।
पलथा पर सूतीतौं,
कोरा में घूमीतौं।
तोहर ऑंगुरी पकैर के चलीतौं
माँ गई हम नेना रहितौं।
कोरा में घूमीतौं।
तोहर ऑंगुरी पकैर के चलीतौं
माँ गई हम नेना रहितौं।
लोरी गाबितैं, खिस्सा कहितैं
बौआ कहि के, सुग्गा कहि के
अपन पांजर लागी सुतयतैं
माँ गई हम नेना रहितौं।
बौआ कहि के, सुग्गा कहि के
अपन पांजर लागी सुतयतैं
माँ गई हम नेना रहितौं।
आँखि में लगा काजर-बिजैर
नै लागय दैं हमरा केकरो नजैर
तूँ जिनगी भरी एहिना बचबितैं
माँ गई हम नेना रहितौं।
नै लागय दैं हमरा केकरो नजैर
तूँ जिनगी भरी एहिना बचबितैं
माँ गई हम नेना रहितौं।
भैर दिन रहितौं हम तोरे साथ
दूध-भात खयतौं हम तोरे हाथ
तोहर संग नै कहियो छोरितौं
माँ गई हम नेना रहितौं।
✍️ प्रभाकर मिश्रा ' ढुन्नी '
दूध-भात खयतौं हम तोरे हाथ
तोहर संग नै कहियो छोरितौं
माँ गई हम नेना रहितौं।
✍️ प्रभाकर मिश्रा ' ढुन्नी '
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
अपन रचनात्मक सुझाव निक या बेजाय जरुर लिखू !