बुधवार, 10 अगस्त 2022

जोगिया हम एक देखलौं गे माई लिरिक्स - Jogiya Hum Ek Dekhlon Lyrics

Jogiya Hum Ek Dekhlon Ge Mai Lyrics in Hindi By Vidyapati

जोगिया एक हम देखलौं गे माई। 
अनहद रूप कहलों नहि जाई। 

पंच बदन तिन नयन विसाला। 
बसन बिहुन ओढ़न बघछाना।

सिर बहे गंग तिलक सोहे चंदा। 
देखि सरूप मिटल दुख दंदा। 

जाहि जोगिया लै रहलि भवानी। 
मन आनलि बर कौन गुन जानी।

कुछ नहि सिल नहिं तात महतारी। 
बएस दिनक थिक लछ जुग चारी। 

भन विद्यापति सुन ए मनाइनि। 
एहो जोगिया थिक त्रिभुवन दानि।


जोगिया हम एक देखलौं अर्थ
हे सखी मैना ! हम एकटा योगी के देखलौं, हुनकर रूप के सौन्दर्य अवर्णनीय अछि। हुनका लग पाँचटा मुख आ कानकेँ छूबैत तीनटा विशाल आँखि। ओ बिना कपड़ा के छथि आ बाघक चामसँ ओढ़ने छथि। हुनक माथसँ (भव-तप-विनाशिनी) सुरसरि प्रवाहित भ रहल अछि आ चन्द्रमा तिलक रूपमे सुशोभित छथि। एहन शुद्ध आ शीतल रूप देखि सांसारिक क्लेश समाप्त भ जाइत अछि। जिनका लेल पार्वती तपस्या-रत' रहलीह, नै जैन हुनकर कोन गुण पर रीझ के हुनका अपन पति के रूप मे मन मे चुनलनि। एहि योगी के ने कोनो कुल छनि आ ने हुनका कोनो गुण छनि, हुनका माय-बाप तक नहि छनि। हुनक उम्र सेहो चारि लाख युग अर्थात् लाखों असंख्य वर्षक अछि। अर्थ ई जे ई योगी सम्बन्धी, बहुआयामी आ कालजयी ब्रह्म छथि।  विद्यापति कहैत छथि जे मैना! सुनू, ई योगी त्रिलोकक दाता छथि।

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