रचनाकार - विद्यापति
अभिनव कोमल सुन्दर पात।
सगर कानन पहिरल पट रात।।
मलय-पवन डोलय बहु भांति।
अपन कुसुम रसे अपनहि माति।।
देखि-देखि माधव मन हुलसंत।
बिरिन्दावन भेल बेकत बसंत।।
कोकिल बोलाम साहर भार।
मदन पाओल जग नव अधिकार।।
पाइक मधुकर कर मधु पान।
भमि-भमि जोहय मानिनि-मान।।
दिसि-दिसि से भमि विपिन निहारि।
रास बुझावय मुदित मुरारि।।
भनइ विद्यापति ई रस गाव।
राधा-माधव अभिनव भाव।।
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