शुक्रवार, 9 अप्रैल 2021

दुहुक संजुत चिकुर फूजल | विद्यापति

दुहुक संजुत चिकुर फूजल, 
दुहुक दुहू बलाबल बूझल ।
दुहुक अधर दसन लागल, 
दुहुक मदन चौगुन जागल ।
दुअओ अधर करए पान, 
दुहुक कंठ आलिंगन दान ।
दुअओ केलि संग संग भेलि, 
सुरत सुखे बिभाबरि गेलि ।
दुअओ सअन चेत न चीर, 
दुहु पिआसन पीबए नीर ।
भनइ विद्यापति संसय गेल, 
दुहुक मदन लिखना देल ।

रचनाकार - विद्यापति

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अपन रचनात्मक सुझाव निक या बेजाय जरुर लिखू !