दुहुक संजुत चिकुर फूजल,
दुहुक दुहू बलाबल बूझल ।
दुहुक अधर दसन लागल,
दुहुक मदन चौगुन जागल ।
दुअओ अधर करए पान,
दुहुक कंठ आलिंगन दान ।
दुअओ केलि संग संग भेलि,
सुरत सुखे बिभाबरि गेलि ।
दुअओ सअन चेत न चीर,
दुहु पिआसन पीबए नीर ।
भनइ विद्यापति संसय गेल,
दुहुक मदन लिखना देल ।
रचनाकार - विद्यापति
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