रचनाकार - विद्यापति
बटगमनी गीत
ई दिन बड़ दुर्लभ छल सजनी गे
देखब नन्द-दुलारे
हरियर गोबर आंगन नीयब
धुपहिं देब गमकाई
करपुर लै हम पान लगाएब
नीरमल जल पीयाई
ई दिन बड़ दुर्लभ छल सजनी गे
देखब नन्द-दुलारे
लाल पलंग हम झारि ओझाएब
रुनुकि-झुनुकि हम पहुँ घर जायब
घूँघट लेब सम्हारि
भनहि विद्यापति गाओल सजनी गे
पुरुषक नहिं विश्वासे
ई दिन बड़ दुर्लभ छल सजनी गे
देखब नन्द-दुलारे
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