बुधवार, 24 जून 2020

कि कहब हे सखि आजुक रंग - लिरिक्स | Ki Kahab he Shakhi Aajuk Rang

रचनाकार - विद्यापति

कि कहब हे सखि आजुक रंग।
सपनहिं सूतल कुपुरुप संग।।

बड सुपुक्ख बलि आयल घाइ।
सूति रहल मोर आंचर झंपाइ।।

कांचुलि खोलि आंलिगल देल।
मोहि जगाय आपु जिंद गेल।।

हे बिहि हे बिहि बड दुम देल।
से दुख हे सखि अबहु न गेल।।

भनई विद्यापति एस रश इंद।
भेक कि जान कुसुम मकरंद।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अपन रचनात्मक सुझाव निक या बेजाय जरुर लिखू !