रचनाकार - विद्यापति
सबरी के अंगना में साधु-संत अयलखिन्ह
उठि सबरी नोर हे चरण हे पखाड़ि
सबरी चन्द्रामृत हे लेलखिन्ह लय-लय भवन छेतार
सबरी के अंगना में साधु-संत अयलखिन्ह
उठि सबरी नोर रे बहाय…..
माय तोरा हांटऊ सबरी
बाप तोरा बरजऊ है
आहे छोड़ू सबरी
साधु-सन्त साथ
सब समाज मिलि कड एक मत केलकिन्ह
राम एकमत केलकिन्ह
आहे सबरी के दियौ बनबास
झालि खजुरिया सबरी
आब काँखि जाबि लेलकई
काँकि दाबि लेलकई
भजन करैते रमि हे जाई
माय तोरा बरजऊ सबरी
बाप तोरा बरजऊ हे
छोड़ू सबरी साधु-सन्त के साथ
हिली लीयौ मिली हे लीयौ
संग के सखी सब
आहे भजन करैते रमि हे जाय
साहेब कबीर गेलन्हि नीरगुणिया हे
सन्तो भाई जानि लीयौ ने बिचारि
आब सन्तो भैया लीयौ ने बिचारि
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