शुक्रवार, 16 जुलाई 2021

सरसिज बिनु सर सर बिनु सरसिज - विद्यापति Sarsij binu sar sar binu sarsij

सरसिज बिनु सर सर बिनु सरसिज, 
की सरसिज बिनु सूरे।
जौबन बिनु तन, 
तन बिनु जौबन की जौक पिअ दूरे।

सखि हे मोर बड दैब विरोधी,
मदन बोदन बड पिया मोर बोलछड, 
अबहु देहे परबोधी।

चौदिस भमर भम कुसुम-कुसुम रम, 
नीरसि भाजरि पीबे।
मंद पवन बह, पिक कुहु-कुहु कह, 
सुनि विरहिनि कइसे जीवे।

सिनेह अछत जत, हमे भेल न टुटत, 
बड बोल जत सबथीर।
अइसन के बोल दुहु निज सिम तेजि कहु,
 उछल पयोनिधि नीरा।

भनइ विद्यापति अरे रे कमलमुखि, 
गुनगाहक पिय तोरा।
राजा सिवसिंह रुपानरायन, 
रहजे एको नहि भोरा।

रचनाकार : विद्यापति

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