Maadhav Kathin Hriday Parvaasi
माधव कठिन हृदय परवासी।
तुझ पेअसि मोयँ देखल बियोगिनि अबहु पलटि घर जासी॥
हिमकर हेरि अबनत कर आनन करु करुना पथ हेरी।
नयन काजर लए लिखये बिधु तुंद भये रह ताहेरि सेरी॥
दखिन पवन बह से कइसे जुबति सहकर कबलित तनु अंगे।
गेल परान पास दये राखये दस नख लिखए भुजंगे॥
मीनकेतन भय सिब-सिब सिब कये धरनि लोटाबए देहा।
कर रे कमल लए कुच सिरफल दए सिब पूजए निज गेहा॥
परभृत के डर पास लए कर बायस निकट पुकारे।
राजा सिबसिंघ रूपनरायन करथु बिरह उपचारे॥
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