बिलखि-बिलखि काने, बेकल भरत जी
एखनो न अयला भगवान ।।
एक दिन अवधि रहल आब बाँकी राम
रहल आब बाँकी
एहो भेल कलप समान ।।
मंथरा के बात सुनि राम जी के त्यागली राम,
रामजी के त्यागली
जग भेल अयश महान ।।
जौं मोरा भइया घर आइयो नहि अयता राम
आइयो नहि अयता हति लेब अपन परान ।।
'लतिका सनेह धरू धीरज भरत जी
देखू आबि गेला हनुमान ।।
ليست هناك تعليقات:
إرسال تعليق
अपन रचनात्मक सुझाव निक या बेजाय जरुर लिखू !