स्वर्ग सँ सुन्दर अपन मिथिला धाम
ओय पर हमरा छय बहुते गुमान,
मिथिला सन नय नगर धरती पर
एकर दुनिया मे छय अपन पहचान।
झंडा फहराइत अछि सगरो संसार मे
इतिहास अही बात के छय प्रमान,
किया न छुवत इ नवका बुलंदी के
युवा हाथ मे एकर छय कमान।
पावनि सँ पटल अछि मिथिला के धरती
चौठचंद्र, छैठ आ भर्दुतिया ओ नाम,
बेटी बनी एली सीता अहि धरती पर
अहि धरती लेल लोभेला श्री राम ।
घर मे सोखा भगवती अंगन मे अछि तुल्शीचौरा
जतय भोर पराति साँझ गोसोउनिक नित गान,
तिनटा वस्तु बड़ प्रसिद्ध मिथिला के
ओ पोखिरक माछ आ पान, मखान।
जतय उगना बनी एलखिन महादेव
ओ अछि श्री विद्यापति केर गाम,
धन्य छि हम मिथिलावासी बनी के
ताहि मिथिलाक सत-सत प्रणाम।
© प्रभाकर मिश्र 'ढुन्नी
© प्रभाकर मिश्र 'ढुन्नी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
अपन रचनात्मक सुझाव निक या बेजाय जरुर लिखू !