मिथिला धरोहर : सहरसा जिलाकऽ कन्दाहा (बारा ग्रामपंचायत) में स्थापित मार्कण्डेयार्क सूर्य मंदिर भारतकऽ प्रसिद्ध बारह सूर्य मंदिरों मे सँ एक अछि। भारतक १२ टा सूर्य मंदिर में सँ छह टा सूर्य मंदिर बिहार में स्थापित अछि। कोणार्क (उड़ीसा, जगन्नाथपुरी) आ देवार्क (हरियाणा) में स्थापित सूर्य मंदिरकऽ तुलना एही मंदिर सँ लोग करैत अछि।
ओना तऽ एतय सब दिने भक्तकेँ भीड़ रहैत अछि, मुदा सूर्योपासनाकऽ महा पर्व छैठ पावनि मेंं एतय श्रद्धालु केँ तांता लागल रहैत अछि। पौराणिक ग्रंथ में एही मंदिरकऽ बारे में उल्लेख कैल गेल अछि जे भगवान श्रीकृष्ण केर पुत्र आर्यावर्त केँ विभिन्न भाग में नक्षत्र के बारह राशिकऽ अवधि में सूर्य मंदिर केे स्थापना केलैथ।
ओना तऽ एतय सब दिने भक्तकेँ भीड़ रहैत अछि, मुदा सूर्योपासनाकऽ महा पर्व छैठ पावनि मेंं एतय श्रद्धालु केँ तांता लागल रहैत अछि। पौराणिक ग्रंथ में एही मंदिरकऽ बारे में उल्लेख कैल गेल अछि जे भगवान श्रीकृष्ण केर पुत्र आर्यावर्त केँ विभिन्न भाग में नक्षत्र के बारह राशिकऽ अवधि में सूर्य मंदिर केे स्थापना केलैथ।
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मन्दिर निर्मान के किछु समय उपरांत मिथिला पर मुगलक शासन भेल। कालापहद नामक मुगल शासक एही मन्दिर के तोरैय के प्रयास केलक मुदा ओं एही में सफल नै भेला। कंदाहा सूर्य मंदिर के नाम भावदित्य केर रूप मे सेहो जानल जाईत छनि, मुदा पौराणिक नाम मार्कण्डेयार्क छनि। कन्दाहा में ऊंच टीला पर बनल मंदिर में कारी शिला पर सूर्य केर प्रतिमा सातटा घोडाक रथ पर सवार अछि। सूर्य मंदिर के बगल में एकटा कूप सेहो अछि। १९९२ में पुरातत्व विभाग कन्दाहा सूर्य मंदिर केँ अधिग्रहण 'सुरक्षित स्मारक' रूप में केलनि।
कंदाहा सूर्य मंदिर प्रांगण में स्थित ईनार (कुंआ) क पैइन केँ उपयोग सिर्फ पूजा केँ लेल नै होईत अछि बल्कि एही पैइन सँ शरीरक बहुते व्याधि क नाश होईत अछि। औषधीय गुण सँ युक्त एही ईनरक पैइन सँ स्नान करै आ पैइन ल जाअ केँ लेल कोसी अंचले नै नेपाल, बंगाल आ दोसरो ठाम सँ लोग पहुंचैत अछि। कंदाहा क टीला बहुते ऐतिहासिक, पुरातात्विक धरोहर केँ समेटने अछि। Surya Mandir Saharsa Kandaha.
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