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● शमशान घाटक बीच ३०० वर्ष पुरान मिथिलाक एकटा मंदिर
मिथिला मे जन स्वास्थ्य तथा रक्षात्मक भावना सँ इ गाम गाम मे अषाढाक निर्माण कराओल जाहि पर मिथिलाक वीर संतति मल्ल विद्याक अभ्यास कए नव निर्माणक नीव दैत छलाह। हिनक पहाड़क सामान मुरेठा एबं हाथीक सूंढ़क सामान बाहु मे सुशोभित शाल वृक्षक सोटा देखि केँ पैघ सँ पैघ दुश्मनक फौज लंक लैत छल। हिनक ढोलक एक चोट पर समस्त क्षेत्र सचेत भय जैत छल। हिनक मल्ल नृत्य कालीन ढोलक आबाज़ मेघ गर्ज़न केँ लज्जित के दैत छल। महान तंत्र साधनों हिनक प्रिय क्षेत्र छल। ई तंत्र विद्याक प्रयोग मात्र जीव हितार्थ करैत छलाह। अइयो मिथिलाक चर्मकार वर्ग अपन कुल भूषण बंठाक अनन्य भक्ति एबं कृतग्य भाव सँ द्वारि रक्षक रूप मे हिनक स्थापना करैत अछि। एतवे नहि स्नान काल अँजलि मे जल लय श्रद्धा सँ जलदान करैत अछि। आजीवन अखंड ब्रह्मचारी बंठाक गात मे देवोपम ज्योति ब्याप्त छल।
आलेख - शैलेश झा
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