सोमवार, 22 फ़रवरी 2016

21 फरवरी के मनाबु अप्पन मातृ भाषा दिवस

मिथिला धरोहर : 21 फरवरी अर्थात मातृ भाषा दिवस ... अहाँ मे सँ बहुते कम लोग के बुझल होयत जे आय कोन दिन अछि। आधहा सँ बेसी लोग के तऽ फरवरी खाली वैलेंनटाइन डे के लेल याद रहैत अछि। आय के दिन अपन माँ के भाषा के सेलिब्रेट करैय के अछि। आय के दिन अहाँ अपन मातृ भाषा चाहे मैथिलि, अंगिका, भोजपुरी, मगही, वजिजका, जे भी होय ओकरा सेलिब्रेट कऽ सकय छी। कियाकि विविध भाषा के एही मोति के पिरोये कऽ भारत देशक एकता के माला बनय अछि, जाहि मे धागा प्रेमक होयत अछि।

मुदा बदलैत परिवेश मे जतय आय लोग के लेल वक्त नय अछि ओतय आय लोग सब भाषा के खिचैड़ कऽ देलैथ अछि। अहाँ अपन लग-पासक लोगक बात पर गौर करव तऽ अहाँ पैव जे आय शायदे ही कुनो एहन पुरूष आ महिला होयत जे शुद्ध भाषा के प्रयोग करैत होयत.. जेना कि हिंदी बाजैत समय अंग्रेजी के प्रयोग, मैथिलि बाजैत हिंदी आ इंग्लिश शब्दक प्रयोग।


आय तऽ लोग महिलाओं सँ बात करैत कहैत छथि, आप खा रहे हो.. या फेर बड़का सँ बात करैत समयो तू-तड़ाके कऽ प्रयोग करैत छथि, जेना कि तू खा ले, आप निकलो वगैरह..वगैरह।

दोसर अहम बात जे आय-काइल सब जगह अछि अंग्रेजी के बोलबाला। भौतिकतावादी युग मे स्टेटस मेंटेन करबा के चक्कर मे हम विदेशी भाषा के तऽ तेजी सँ अपना रहल छी कियाकि इ बेहद जरूरी अछि, मुदा अपन पहचान और अपन मातृभाषा के बिसरैत जा रहल छी।

आय अगर मिथिलांचल दंपति दिल्ली, पुणे और बैंगलोर मे रहैत छथि तऽ हुनका बच्चा के मैथिलि नय आवैत अछि कियाकि ओ अपन बच्चा के कखनो मैथिलि बाजनय सिखेवे नय केलैथ, अगर बच्चा कखनो काल नकल करैतो छै तऽ डांट-फटकार परैत अछि कियाकि हुनका लागैत छैन जे हमर बच्चा मातृभाषा सीखे कऽ की करत ओकरा अंग्रेजी एवा चाहि कियाकि यैह सँ ओ स्मार्ट कहलैत जहनकि अपन क्षेत्रीय भाषा बाइज के पिछडल लागत।

इ सवटा लोगक ग्रसित मानसिकता कऽ सबूत अछि जेकर कारणे आय हमार क्षेत्रीय भाषा के ओ बढ़ावा नय भेटय अछि जे कि अंग्रेजी के भेंट रहल अछि। हम देशक आन-बान और शान के बरकरार राखबा के लेल सपत तऽ खाइत छि मुदा की मातृभाषा के अनदेखा कऽ के हम वाकई मे अपन सपत निभा रहल छी

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