हिंदी सँ भोजपुरी, मगही और मैथिली के ऑनलाइन अनुवाद जल्द संभव हैत। ट्रांसलेटर तैयार करवा के प्रोजेक्ट पर आईआईटी बीएचयू और काशी हिंदू विश्वविद्यालय मिल के काज क रहल अछि। वैज्ञानिक के मुताबिक क्षेत्रीय भाषा के अनुवाद के लेल इ अपन तरहक पहिल मशीनी ट्रांसलेटर होयत। एक साल मे अहि कार्य के पूरा कैल जेवाक के लक्ष्य अछि।
आईआईटी के डॉ. अनिल कुमार सिंह के निर्देशन में ‘प्रोजेक्ट वाराणसी’ के तहत ट्रांसलेटर विकसित करवाक काज भ रहल अछि। बीएचयू के भाषा विज्ञान विभाग एहिके लेल लैंग्वेज रिसोर्स तैयार केलक अछि, जहन कि आईआईटी बीएचयू के कंप्यूटर विज्ञान आ इंजीनियरिंग विभाग टूल्स आ सॉफ्टवेयर तैयार केलक अछि। प्रोजेक्ट के पहिला चरण पूरा भ चुका अछि। परीक्षण मे किछ कमियां पैल गेल जेकरा दूर करवाक क़ाज चैल रहल अछि।
आईआईटी बीएचयू के निदेशक प्रो. राजीव संगल क्षेत्रीय भाषाओं के संवर्धन के लेल अहि प्रोजेक्ट के शुरू केलैथ अछि। अहि सँ भोजपुरी, मगही और मैथिली मे उपलब्ध साहित्य के ऑनलाइन कैल जा सकत और एकरा डिजिटल रूप मे सहेजल जा सकत। भोजपुरी चूंकि पूर्वांचल के प्रमुख भाषा अछि, प्रो. संगल के मुताबिक, ‘‘अखन धरि मगही और मैथिली पर कुनो काज नय भेल अछि, इ हमर क्षेत्रीय भाषा अछि, ताहिलेल एकर साहित्य के सहेजवाक जरूरत अछि’’ प्रोजेक्ट मे कंप्यूटर साइंस आ इंजीनियरिंग विभाग के डॉ. स्वस्ति मिश्रा और भाषा विज्ञान विभाग के डॉ. संजुक्ता घोष सहयोग द रहल छथि।
आईआईटी बीएचयू के कंप्यूटर साइंस आ इंजीनियरिंग विभाग के असि. प्रो., डॉ. अनिल कुमार सिंह बतेलखिन, 'हमर सॉफ्टवेयर गूगल ट्रांसलेटर जँका काज करत। भोजपुरी, मगही और मैथिली भाषा के रिसोर्स तैयार अछि। भोजपुरी के सिस्टम तैयार कैल जा चुका अछि। मगही आ मैथिली के सिस्टम विकसित करवा पर काज बाद मे शुरू कैल जायत। प्रोजेक्ट मे आईआईआईटी हैदराबाद सेहो सहयोग क रहल अछि।’
(अमर उजाला ब्यूरो)
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