रविवार, 9 सितंबर 2018

चौठ चंद्र, चौरचन अथवा चौठी चान के महत्व

मिथिलाक पावनि में चौरचनक सेहो बहुत पैघ महत्व अछि। पबनौतिन सब व्रत राखि नियम निष्ठा स खीर पूरी पकवान आदि बना क नाना प्रकारक ऋतुफल डाली में सजा क आँगन निपि अरिपन दय पहिल साँझ में चन्द्रमाक विधिवत पूजन क तखन हाथ उठबैत छथि। तकर बाद परिजन लोकनि फल लय चन्द्रमाके प्रणाम् करैत छथि तकर बादे प्रसाद ग्रहण कायल जाइछ । एहि में ब्राह्मण भोजन के सेहो बहुत महत्व अछि ।
भादव मासक शुक्ल पक्षक चतुर्थी (चौठ) तिथिमे साँझखन चौठचन्द्रक पूजा होइत अछि ,जकरा लोक चौरचन पाबनि सेहो कहै छथि। पुराणमे प्रसिद्ध अछि, जे चन्द्रमा के अहि दिन कलंक लागल छलनि, ताहि कारण अहि समयमे चन्द्रमाक दर्शन के मनाही छैक। मान्यता अछि, जे एहि समयक चन्द्रमाक दर्शन करबापर  कलंक लगैत अछि। मिथिला में अकर निवारण हेतु रोहिणी सहित चतुर्थी चन्द्रक पूजा कायल जाइत अछि !

स्कन्द पुराण के अनुसार एक बेर भगवान कृष्ण के मिथ्या कलंक लागल छल,लेकिन ओ अहि वाक्य सअ  कलंक मुक्त भेलाह !



एक टा अन्य कथा के अनुसार , एक बेर गणेश भगवान के देखि चन्द्रमा हँसि देलखिन्ह । एहिपर गणेशजी  चन्द्रमा के श्राप देलखिन्ह कि, जे अहाँ के देखत ओ कलंकित होयत। तखन चन्द्रमा भादव शुक्ल चतुर्थीमे गणेशक पूजा केलनि। ओ प्रसन्न भऽ कहलखिन्ह - अहाँ निष्पाप छी। जे व्यक्ति भादव शुक्ल चतुर्थी के अहाँक  पूजा कऽ ‘सिंह प्रसेन...’ मन्त्रसँ अहाँक दर्शन करत ,तकरा मिथ्या कलंक नञि लगतै,आ ओकर सभ मनोरथ पुरतै। चन्द्रमा के दर्शन के समय हाथ में फल अवश्य राखी और मंत्र के साथ दर्शन करी !मिथिलाक अन्य पाबनि जकाँ अहु में खीर ,पूरी ,मधुर ,ठकुआ ,पिरूकिया, मालपुआ,दही आदि के व्यवस्था रहैत अछि !

Tags : # Chaurchan # Chaut Chandr # Chauthi Chan



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