भारतीय धर्म-दर्शन के सबसं ऊंच स्थान पर पहुंचेनिहार आदि शंकराचार्य एकटा सामान्य मुदा बुद्धिमान स्त्री सं बहस मे हारी गेल छलथि। ओ स्त्री मिथिला के छलिथि, हुनकर नाउ छलनी भारती। भारती केर पति मंडन मिश्र मिथिलांचल मे कोसी नदी कात स्थित गांव महिषि मे रहै छलथि। तहन धर्म-दर्शन के क्षेत्र मे शंकराचार्य के ख्याति दूर-दूर तक छलनी। कहल जाइत अछि जे ओहि वक्त एहन कुनो ज्ञानी नै छलाह, जे शंकराचार्य सं धर्म आ दर्शन पर शास्त्रार्थ क सकै। शंकराचार्य देशभरी के साधु-संत आ विद्वान सं शास्त्रार्थ करैत मंडन मिश्र के गांव धरि पहुंचल छलथि। एतय 42 दिन धरि लगातार भेल शास्त्रार्थ मे शंकराचार्य ओना मंडन के पराजित क त देलनि, मुदा हुनक पत्नी के एगो सबालक जवाब नै द पेलथी आ अपन हैर मानी लेलथि।
मंडन मिश्र गृहस्थ आश्रम मे रहै बला विद्वान छलथि। हुनक पत्नी सेहो विदुषी छलनी। अहि दंपती केर घर पहुंच शंकराचार्य मंडन मिश्र सं शास्त्रार्थ करबाक प्रस्ताव रखलनी। आ शर्त रखलथि जे हारत, ओ जीतै बला के शिष्य बनी जायत। आब सबाल खरा भेल जे दु विद्वान के बीच शास्त्रार्थ मे हाइर-जीत के फैसला के करत। शंकराचार्य के पता छलनी जे मंडन मिश्र के पत्नी भारती विद्वान छथि। ओ हुनके निर्णायक के भूमिका निभेबा के कहलनि।
शंकराचार्य केर कहल अनुसार भारती दुनू गेटे के बीच होय बला शास्त्रार्थ के निर्णायक बैन गेली। मंडन और शंकराचार्य केर बीच 21 दिन धरि शास्त्रार्थ होइत रहल। आखिर मे शंकराचार्य के एकटा सबालक जबाब नै द पेलथी आ हुनका हारय परलनी। निर्णायक के हैसियत सं भारती कहलनि जे हुनक पति हाइर गेलथि। आब अहाँ शंकराचार्य के शिष्य बैन जाऊ आ संन्यास के दीक्षा लिअ। मुदा भारती शंकराचार्य सं इहो कहलनि जे हम हुनक पत्नी छि। एखन मिश्रजी के अदहे हाइर भेलनि हन। हमरे हाइरक संगे हिनकर पूरा हाइर हेतनि। अते कहैत भारती शंकराचार्य के शास्त्रार्थ के चुनौती देलनी।
शंकराचार्य आ भारती बीच सेहो कतेको दिन धरि शास्त्रार्थ होइत रहल। एकटा महिला हेबाक बावजूद ओ शंकराचार्य के सब सबाल के जवाब देलथि। ओ ज्ञान के मामला मे शंकराचार्य सं बिल्कुल कम नै छलथि, मुदा 21मा दिन भारती के इ लागय लगलनि जे आब ओ शंकराचार्य सं हाइर जेती। 21मा दिन भारती एकटा एहन सबाल क देलनी जेकर व्यावहारिक ज्ञान के बिना देल गेल शंकराचार्य के जबाब अधूरा बुझल जायत।
भारती शंकराचार्य सं पूछलथि - काम की अछि? एकर प्रक्रिया की अछि और अहिसे संतान के उत्पत्ति केना होइत अछि ? आदि शंकराचार्य तुरंते सबालक गहराई बुइझ गेलथी। शंकराचार्य ओहि वक्त एकर जवाब देबाक स्थिति मे नै छलथि, कियाकि ओ ब्रह्मचारी छलथि और यौन जीवन के हुनका कुनो अनुभव नै छलनी। पढ़ल-सुनल बातक आधार पर जवाब दैतैथ त ओकरा मानल नै जा सकैत छल। एहन स्थिति मे ओहि छन हाइर मानी लेलथि, मुदा भारती सं जवाब लेल छ मासक समय मांगलथी। शंकराचार्य अहि हाइर के बाद ओतय सं चैल गेलथि। कहल जाइत अछि जे अहि सबालक जवाब जानबाक लेल शंकराचार्य योग'क जरिए शरीर त्याग क एकटा मृत राजा के देह क धारण केलनि। राजा के शरीर मे प्रविष्ट भ के हुनक पत्नी संग कतेको दिन धरि संभोग करबाक उपरांत ओ भारती के सवालक जवाब ढूंढलथी, ताहि उश्चत ओ फेर भारती सँ शास्त्रार्थ क हुनक सवाल के जवाब देलथि और हुनका पराजित केलनि। एकर बाद मंडन मिश्र हिनकर शिष्य भ गेलथि।
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