शुक्रवार, 10 अप्रैल 2020

एकटा सुंदर मैथिली कविता : गमकैत गाम

मोन परैय अछि...
आमक टिकुला, मोछिक झख्खा
करची के धनुष,  खड़ही के बान,
पापी    पेट    परदेश    बसेलक
मोन  परैय  अछि  गमकैत गाम।

मोन परैय अछि...
भोजक बड़ी, दही,  सकरौरी
नार - पुआर, घूर, थैर - बथान,
सांझ परैत माँ बानहै छल गांति
मोन परैय अछि गमकैत  गाम।

मोन परैय अछि...
बर प्रिएगर घी'यक डारी
गोलेठा मारी मोइर सोहारी,
माँ पांजर लागि करि आराम
मोन परैय अछि गमकैत गाम।

मोन परैय अछि...
पावैन-तिहार मे अलगे उमंग
खेल-कूद करि संगी सब संग,
कखनो आँगन कखनो दलान
मोन परैय अछि गमकैत गाम।

मोन परैय अछि...
मिल-जुईल खेली संगी-साथी,
आमक गाछ पर डोल आ पाती।
खूब खाय छलौ आम - लताम
मोन परैय अछि गमकैत गाम।

मोन परैय अछि...
छोट - पैघ के छौरा - छौरी,
संगे खेली तीक-तीक, कौरी।
हरा गेल संगी - साथी तमाम
मोन परैय अछि गमकैत गाम।

मोन परैय अछि...
पीठ पर टैंग अपन बस्ता,
डेग सँ नापी गामक रस्ता।
बात इ सबटा भेलय पूरान
मोन परैय अछि गमकैत गाम।

मोन परैय अछि...
घड़ी-घण्टा सुनी मन्दिर भागी,
चाइर-चाइर बेर प्रसाद हम पाबि।
आँखी खुजय छल सुनिते अजान
मोन परैय अछि गमकैत गाम...
मोन परैय अछि गमकैत गाम।

✒️ रचना : प्रभाकर मिश्रा 'ढुन्नी'



1 टिप्पणी:

  1. मिथिला केर वर्णन हमरा बड़ नीक लागल।
    मून गद गद भ गेल जय मिथिला।।

    जवाब देंहटाएं

अपन रचनात्मक सुझाव निक या बेजाय जरुर लिखू !