शनिवार, 1 अप्रैल 2023

घड़ी पाबनि मिथिला में | Ghari Pawan 2023

यमराज / धर्मराज ऋग्वैदिक देवता छथि ।मृत्यु के न्यायकर्ता, धर्माधिकारी , तैं धर्मराज। सम्पूर्ण भारत में धर्मराज के मन्दिर नगण्य अछि। तेलंगाना के करीमनगर जिला में एकटा धर्मराज मंदिर बहुचर्चित अछि। सम्पूर्ण मिथिला में धर्मराज के नै कोनो मन्दिर अछि आ नै नित्य पूजा लेल मूर्ति, मुदा धर्मराज के रुप लोग के बुझल छैक। कारी महीस पर सवार हाथ में दण्ड -पाश लेने। मिथिला में धर्मराज " लिखल " जाइत छथि निर्धारित अवसर पर ।
घड़ी पाबनि में एहि लिखिया काज में चिनबार पर धर्मराज उजरका पिठार सं लिखल जाइत छथि।विषहारा सेहो संग में लिखल जाइत छथि। पातरि पड़ैत अछि। खीर पूरी, मधुर संग आम, कटहर, केरा के भोग लागैत छनि। प्रसाद अपन घरक लोक वा दियाद मुख्यतया खाइत छथि। घरक बाहर किछु नहि जा सकैत अछि। घर के एकटा कोना में खाधि खोदि अवशेष के गाड़ि देल जाइत छैक।



एहि पाबनि के नामकरण घड़ी किएक ?  स्पष्ट नहि अछि। निश्चित समयक द्योतक नाम घड़ी , वा घरे घरे होयवाला पाबनि घरही, घरे में होयके कारणें घड़ी, अनुसंधान करबाक अछि।
मिथिला में धर्मराज के मन्दिर / मूर्ति नहि होयबाक एकटा आर सम्भावित कारण भ ' सकैत अछि। मैथिल शिवोपासक छथि। संहारकर्ता शिव के नित्य पूजा होइत छनि, गौरी के पूजा होइत छनि। शिव -पार्वती पूजन सं मृत्यु के भय तिरोहित होइत अछि । तैं अलग सं यमराज/धर्मराज के नित्य पूजा नहि होइत छनि। शिव महादेव छथि। नागराज हुनके में समाहित छथिन। तैं समय विशेष में धर्मराज, विषहरा के लिखिकय आराधना कयल जाइत छनि, मुदा नित्य नहि।
साभार: Shailendra Mohan Jha 

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