शुक्रवार, 19 मार्च 2021

मैथिली साहित्यकार कमलकांत झा - Writer Kamalkant Jha

साल 2020 के मैथिली भाषा मे साहित्य अकादमी पुरस्कार के लेल वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. कमलकांत झा ( Litterateur Kamalkant Jha, Madhubani ) के नाम के घोषणा भेलनि अछि। इ पुरस्कार हुनका लघु कथा 'गाछ रुसल अछि' के लेल प्रदान कैल गेलनि हन। अहि रचना मे पर्यावरण के शुद्ध रखबाक लेल पेड़-पौधा के महत्व के दर्शायल गेल अछि। मधुबनी के कलुआही प्रखंड स्थित हरिपुर डीह टोल मे 29 मार्च 1943 के जन्म भेल डॉ. कमलकांत झा मैथिली के संगे हिंदी लेखन के क्षेत्र मे सेहो काज केने छथि। पिता पं. वीरेश्वर झा आ माता तारा देवी बचपने मे हिनकर संग छोइड़ देने छलखिन। अहि कारण हिनकर प्रारंभिक शिक्षा नानीगाम लोहा गांव मे भेलनि। 


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कमलकांत झा जी 1962 सं लेखन के यात्रा प्रारंभ केलथि। हिनकर पहिल पुस्तक मैथिली नाटक 'घटकैती' 1965 मे प्रकाशित भेलनि, जे बहुते लोकप्रिय भेलैन। अहि सं हुनका लेखन के क्षेत्र मे आगु बढबाक हौसला भेटलनि। एखन धरि मैथिली मे हिनकर 25 पुस्तक प्रकाशित भ चुकल अछि। अहि मे 4 टा नाटक, 2 टा कविता संग्रह, 3 टा कथा संग्रह, 2 टा यात्रा संस्मरण आ मैथिली लोकोक्ति पर तीनटा पुस्तक शामिल अछि। 

मैथिली साहित्य जगत मे हिनका मैथिली मुहावरा आ लोकोक्ति के विशेषज्ञ के रूप मे सेहो जानल जाइत छनि। डॉ. झा मैथिली के शिक्षक सेहो रह छथि। 1965 मे ओ ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के अंगीभूत इकाई डीबी कॉलेज, जयनगर मे लेक्चरर के रूप मे अपन शिक्षण यात्रा के शुरुआत केलथि। 

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1982 मे रीडर बनलाह और 1987 मे प्रोफेसर के पद पर प्रोन्नत भेलथि। एक अप्रैल 2003 के डीबी कॉलेज सं सेवानिवृत्त भेलैथ। ताहि उपरांत जयनगर मे रहिते लेखन आ सामाजिक कार्य मे सक्रिय छथि। मैथिली के अलावा ङ्क्षहदी मे सेहो हिनकर 2 टा पुस्तक प्रकाशित भ  चुक छनि। अहिमे एकटा उपन्यास 'बिखरती रही चांदनी आ एकटा शोध निबंध 'मिथिला गौरवशालिनी शामिल अछि। अंतरराष्ट्रीय मैथिली परिषद (भारत-नेपाल) के केंद्रीय अध्यक्ष सेहो छथि। RSS सं सेहो जुड़ल छैथ। वर्तमान मे मधुबनी के जिला संघ चालक छथि। 

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