शनिवार, 1 मार्च 2014

अपन देशक नेता जी : कविता

चोर उचक्का नेता बनी के
घोटाला पर जे घोटाला करत
घैयला म जे भुर रहत त
तहन पैइन कोना क भरत।
बिकसित देश एखन नय बनल
विकाश सिल देश अछि भारत
नेता सबक अत्याचार लेल
ताकी रहल अपन उधारक।
चोर,डकैत, बलात्कारी जे छथि
ओहै होअ छथि आजुक नेता
जनता के जे पैसा खाअ छथि
ओं नय अपन देशक हेता।
साइलेंट मैन अछि देशक मंत्री
इस्त्री के छथि आज्ञा कारी
कटा के अपन मोछ आ दाढी
पैहरैथ छैथ किया ने साड़ी।
मून आब अफुया गेल अछि
देखि के भ्रस्टा चारी नेता
दंड त हुनका भेटवे करतैन
मैर के जहन भगवान घर जेता।

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