पौराणिक सन्दर्भ के अनुसार इस क्षेत्र का अधिकतर प्राचीन नाम मिथिला ही प्राप्त होता है, साथ ही विदेह नाम से भी इसे संबोधित किया गया है। प्राप्त उल्लेखों के अनुसार तीरभुक्ति (तिरहुत) नाम अपेक्षाकृत काफी बाद का सिद्ध होता है।
वृहद विष्णु पुराण के मिथिला माहात्म्य में मिथिला एवं तीरभुक्ति दोनों नाम कहे गये हैं। मिथि के नाम से मिथिला और अनेक नदियों के तीर पर स्थित होने से तीरों में भोग (नदी तीरों से पोषित) होने से तीरभुक्ति नाम माने गये हैं। इस ग्रंथ में गंगा से लेकर हिमालय के बीच स्थित मिथिला में मुख्य 15 नदियों की स्थिति मानी गयी है तथा उनके नाम भी गिनाये गये हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
अपन रचनात्मक सुझाव निक या बेजाय जरुर लिखू !