Matri Divas Maithili Kavita
नौ मास तू कोख में रखिलें
छाती के दूध सँ सिचलें
तू सुनिते दौरे हमर बोल
तहर स्नेहकऽ नै कुनो मोल
माँ' कतेक छोट शब्द
मुदा छं ममता केर सागर...।
दूध पि बनलौं कर्जदार तोंहर
हमरा पर छौं अधिकार तोंहर
हमर चोट में होय छौं दर्द तोरा
हम खुश, तखन मुस्कुराबय छं
माँ' कतेक छोट शब्द
मुदा छं ममता केर सागर...।
तोरा कोरा में छौं स्वर्गकऽ सुख
हैर लैं सन्तानकऽ सबटा दुःख
तोरे चरण में छौं बैकुंठ धाम
बड़ सुंदर माँ तोंहर रूप
माँ' कतेक छोट शब्द
मुदा छं ममता केर सागर...।
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तोंहर सरण में भेटत चारु धाम
तोंहर पूजा देवता केर समान
हम जिनगी भरी सेबा करबौं
हमरा दे अपन आशीष
माँ' कतेक छोट शब्द
मुदा छं ममता केर सागर...।
बृद्ध में हम लाठी बनबौं
रौदा में हम गाछी बनबौं
जेना हमरा लाड़-दुलाड़ देलए
तहिना करबौं हम सम्मान
माँ' कतेक छोट शब्द
मुदा छं ममता केर सागर...।
तोंहर सेवा कऽ मेवा भेटत
इ अवसर नै दोसर भेटत
अपन बेटा के छमा करीहें
जाऊँ होय कुनो भूल-चूक
माँ' कतेक छोट शब्द
मुदा छं ममता केर सागर...।
© प्रभाकर मिश्रा 'ढुन्नी
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नीक लगल कविता आहा के 🙏🙏
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