एक दिन गप्प करैत-करैत तीनू मे अपना के सबसँ पैघ गप्पी साबित करबाक शर्त लागल आ निर्णय भेल जे जे बेसी झूठ बाजत ओकरा 100 रुपैया जुर्माना देबय पड़तैक।
सबसँ पहिने दीवानक बेटा कहलक जे हमर दादा एतय राजा छलाह आ वर्तमान राजाक पिता हुनकर नोकर छलाह।
ई सुनिते राजाक पुत्र कूदि उठल आ कहलक जे ई झूठ अछि; एहि ठामक राजा हमर परदादा, दादा आ हमर पिता रहल छथि। हमर दादा कहियो ककरो नोकरक काज नहि केलनि।
दीवानक बेटा चहकैत बाजल, जँ ई झूठ अछि तखन सौ रुपैया लाऊ। राजकुमारक शर्त के अनुसार पाइ देबय पड़लनि। आब व्यापारीक बेटाक बारी आयल। ओ गंभीरतापूर्वक बाजल, ताहि दिन मे एहि ठामक राजा सब बहुत गरीब छलाह। एक बेर ओ अपन पोताक संग हमर दादाजीक घर पर भीख मांगय लेल आयल छलाह।
इहो पढ़ब :-
अतेक सुनिते राजकुमार झपटैत बजला - ईहो सरासर झूठे अछि। हमर दादा आ बाबूजीक संग कहियो एहन स्थिति नहि भेल।
बनियाक बेटा प्रसन्नता सं ओकरा शर्त मोन पाड़ैत कहलकै, "तखन अहाँ हारलहुँ आ हम जीतलहुँ, तेँ सौ रुपैया लाऊ।"
ओकरो पाइ देबय पड़ल। आब राजकुमारक बारी आयल। ओ अनिच्छापूर्वक बजला, 'हमरा आब घर जेबाक अछि; काल्हि फेर एतय उपस्थित रहब।
राजकुमार सोचैत रहि गेलाह जे झूठक सेतु कोना बान्हल जाय जाहि सँ पाइ वापस भऽ सकय। ओकरा किछु मोन नहि पड़ि रहल छलैक। अंततः ओ गोनू झा सँ संपर्क केलनि। गोनू झा आश्वस्त करैत बजलाह - राजकुमार, ई बामा हाथक काज थिक; बस अहाँ अपना जगह हमरा कहानी कहबाक लेल मना लेब।
अहि पर दुनू मित्रक कोनो आपत्ति नहि भेल। गोनू झा साधारण भेश-भूषा मे पहुँचल छलाह। ओ गप्प कहै लगला, एक बेर भयंकर अकाल पड़ल। लोक अन्न लेल त्राहि -त्राहि करय लागल। राजा कागज बना बना कऽ अन्न देबऽ लगलाह। अहाँक दुनूक दादा सेहो आयल। राजा एक-एक क्विंटल गहूम दऽ रहल छलाह, मुदा कतेको बेर कहला पर दस-दस क्विंटल दऽ देलनि। आब ओ एहि संसार मे नहि छथि। ओकर बेटा आ ने पोता गहूम घुरेलक। एहन कृतघ्न आजुक लोक भऽ गेल छथि। खैर, राजाक कागज दुरुस्त अछि; आइ नहि काल्हि साधये पड़त।
ई सुनि दीवान आ बनियाक बेटा कूदि उठल आ एक सुर मे कहलक जे ई बात एकदम असत्य अछि । हमर दादा वा बाबूजी कहियो एहि पर चर्चा नहि केलनि।
गोनू झा हँसैत बजलाह, जँ झूठ अछि तखन सौ रुपैया लाऊ आ जँ सत्य अछि तखन गहूम चुकता करू।
दुनू गोटे पाइ देब नीक बुझलक।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
अपन रचनात्मक सुझाव निक या बेजाय जरुर लिखू !