एक बेर गोनू झाक आर्थिक स्थिति बहुत दयनीय भऽ गेल छलनि, तेँ हुनका एकटा सेठ सँ कर्ज लेबय पड़लनि। ब्याज दर बेसी हेबाक कारणे मूलधन आ ब्याज मिला कए दस गुना सं बेसी भऽ गेल।
सेठ रुपयाक तगेदा लेल बेर-बेर पहुँचय लागल। गोनू झा कोनो तरहेँ मूलधन आ किछु ब्याज चुकौलनि, मुदा बेसी ब्याज रहि गेल।
सेठ के अपना एतय लगातार दौड़ैत देखि गोनू झा अक्छ भऽ गेलाह आ आश्वासन देलखिन जे पूर्णिमा के दिन एक-एकटा पैसा चुका देब। ओहि दिन ओ अपन आँगन मे यज्ञ कुंड बना पूजा मे बैसि गेलाह। हवन के सबटा सामग्री तैयार छल।
यज्ञ एकदम नवीन छल। वेदी के सोंझा कागज के मूर्ति आ दहकैत अंगार राखी देल गेल। आगि पर सरसोंक तेल कड़कय लेल छोड़ि देल गेल छल। गोनू झा कुंड मे हविष्य दए जा रहल छलाह। ओहि यज्ञ मे प्रत्येक काज स्वयं करैत छलाह, तेँ बीच मे ककरो सँ गप्प करब सेहो वर्जित छल।
गोनू झा के हवन करैत देखि सेठ चुपचाप बैस गेल। भोर सँ साँझ भऽ गेल, एखनो धरि गोनू झाक ध्यान नहि टूटलनि, तखन सेठक धैर्य जबाब देबय लागल। सेठ गोनू झा के हिलाबैत ध्यान तोड़ि देलक।
ध्यान भंग होइते ओ क्रोधित भऽ गेलाह; आँखि क्रोधसँ लाल। ओ आँखि मे नोर भरि बजलाह, ' सेठ, अहाँ हमर यज्ञ में विघ्न कऽ देलहुँ; एकर परिणाम भयावह होयत। फेरो बड़बड़ाइत बजलाह - पहिने अपन मंत्रक शक्तिक आजमाइश एहि पुतला पर कऽ के देख ली।
गोनू झा हाथ मे जल लऽ कऽ 'ॐ, ह्रीं, क्लीं स्वाहा' मंत्रोचार के संग पुतला लगनारा लग कड़कैत तेल मे छिड़कि देलनि। पानि खसैते देरी तेल धधैक उठल आ पुतला फन-फना कऽ जरय लागल। फेर गोनू जल लऽ कऽ मंत्रोच्चार करैत सेठ दिस तकलनि। मंत्रसिक्त जल के संग घुमैत देखि सेठ घबरा गेल आ चादर, चप्पल आदि छोड़ि बदहवाश भागल। तकर बाद गोनू झाक घर लग जेबाक नाम तक नहि लेलनि आ तगेदा के तऽ बिसैर गेलाह।
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