हे भवानी दुःख हरु माँ, पुत्र अपन जानी कै
दऽ रहल छी कष्ट भारी, बिच भँवर मे आनी कै
पावी आशा हम परल छी, की कहु हम कानि कै
हे भवानी दुःख हरु माँ, पुत्र अपन जानी कै
देखु दुर्बल पुत्र के माँ, की सुतल छी तानी कय
हे भवानी दुःख हरु माँ, पुत्र अपन जानी कै
हमर आशा पूर करू माँ, फल तोरब फानि कै
हे भवानी दुःख हरु माँ, पुत्र अपन जानी कै
सुनु हे माँ नित्य पुजब, नेम व्रत के ठानी कै
हे भवानी दुःख हरु माँ, पुत्र अपन जानी कै
विश्व जननी आहाँ थीकहु माँ, कते कहब दुःख कानी कै
हे भवानी दुःख हारु माँ, पुत्र अपन जानी कै
(2)
हे भवानी दुःख हरू माँ पुत्र अबला जानि केँ
हम निराशा मे फंसल छी, कहब ककरा कानि केँ
हम भजन पूजा ने जानी, एकटा रटना भवानी
दीन प्रतिपालन करू माँ, अपन संतति मानि केँ
विष्णु, शिव, विधि शरण गेलहुँ, कए तपस्या फल ने पेलहुँ
अहीँ शक्ति स्वरुप सभहक , शरण एलहुँ मानि केँ
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