गौरी बर अएला अलख लखिया,
चलू देखू सखिया
हे बर के ने माय-बाप कुल-जतिया,
भूत ओ प्रेत संग बरियतिया
बसहा चढ़ल बर संग भरिया,
बर के सुरति देखि फाटे छतिया
नारद कएलनि अजगुत सखिया,
हे फेरू-फेरू बर-बरियतिया
भनहि विद्यापति सुनू सखिया,
इहो थिका दानवीर त्रिभुवन पतिया
चलू देखू सखिया, गौरी बर लयला अलख लखिया
रचनाकार : विद्यापति
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