गुरुवार, 4 अप्रैल 2019

गौरी बर अएला अलख लखिया लिरिक्स - विद्यापति

गौरी बर अएला अलख लखिया, 
चलू देखू सखिया

हे बर के ने माय-बाप कुल-जतिया, 
भूत ओ प्रेत संग बरियतिया

बसहा चढ़ल बर संग भरिया, 
बर के सुरति देखि फाटे छतिया

नारद कएलनि अजगुत सखिया, 
हे फेरू-फेरू बर-बरियतिया

भनहि विद्यापति सुनू सखिया, 
इहो थिका दानवीर त्रिभुवन पतिया
चलू देखू सखिया, गौरी बर लयला अलख लखिया

रचनाकार : विद्यापति

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अपन रचनात्मक सुझाव निक या बेजाय जरुर लिखू !