बुधवार, 30 सितंबर 2020

हम जुवती, पति गेलाह बिदेस लिरिक्स - विद्यापति

हम जुवती, पति गेलाह बिदेस,
लग नहि बसए पड़उसिहु लेस।

सासु ननन्द किछुआओ नहि जान,
आँखि रतौन्धी, सुनए न कान।

जागह पथिक, जाह जनु भोर,
राति अन्धार, गाम बड़ चोर।

सपनेहु भाओर न देअ कोटबार,
पओलेहु लोते न करए बिचार।

नृप इथि काहु करथि नहि साति,
पुरख महत सब हमर सजाति।

विद्यापति कवि एह रस गाब,
उकुतिहि भाव जनाब।

रचनाकार - विद्यापति

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