सोमवार, 11 सितंबर 2023

हरी के मोहनी मुरतीया में मोन लागल हे सखी लिरिक्स | विद्यापति कृष्ण भजन

हरी के मोहनी मुरतीया में मोन लागल हे सखी
छाती छबि में भेल विभोर
जहिना बिलखथि चन्द्र-चकोर
हमरा जुलमी नजरिया केलक पागल हे सखी
हरी के मोहनी मुरतीया में मोन लागल हे सखी

मोहन मृदु-मृदु मुस्कान
मुख लागल मृदु बान
कारी केसिया में अंखियां ओझराएल हे सखई
हरी के मोहनी मुरतीया में मोन लागल हे सखी

सोचन कोमल कुमल समान
जहिना नील गगन केर तान
कारी केसिया में अंखिया ओझरायल हे सखी
हरी के मोहनी मुरतीया में मोन लागल हे सखी

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