लोचन नीर तटिनि निरमाने।
करए कलामुखि तथहि सनाने॥
सरस मृनाल करए जपमाली।
अहनिस जप हरिनाम तोहारी॥
बृंदाबन कानु पनि तप करई।
हृदय बेदि मदनानल बरई॥
जिब कर समिध समर कर आगी।
करति होम बध होएबह भागी॥
चिकुर बरहि रे समरि कर लेअई।
फल उपहार पयोधर देअई॥
भनइ विद्यापति सुनह मुरारी।
तुअ पथ हेरइत अछि बरनारी॥
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