रचनाकार - विद्यापति
बटगमनी गीत
फरल लवंग दूपत भेल सजनी गे
फल-फूल लुबधल डारि
खोंइछा भरि तोरल फफरा भरि तोरल
सेज भरि देल छीरियाय
फूलक धमक पहुँ जागल सजनी गे रुसि चलल परदेस
बारह बरख पर लौटल सजनी गे
ककबा लैल सनेस ओहि ककबा लय थकरब सजनी गे
रुचि-रुचि कैल सींगार
भनहि विद्यापति गाओल सजनी गे
पुरुषक नहिं विश्वास
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