गुरुवार, 17 मार्च 2022

सैसव जौवन दरसन भेल - विद्यापति Saisav jauvan darsan bhel

सैसव जौवन दरसन भेल,
दुहु दल-बलहि दन्द-परि गेल।

कबहुँ बाँधए कच कबहुँ बिथार,
कबहुँ झाँपए अँग कबहुँ उघार।

थीर नयान अथिर किछु भेल,
उरज उदय-थल लालिम देल।

चपल चरन, चित चंचल भान,
जागल मनसिज मुदित नयान।

विद्यापति कह करु अवधान,
बाला अंग लागल पंचवान।

रचनाकार : विद्यापति

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