गुरुवार, 14 जुलाई 2016

हर जनि बिसरब मो ममिता लिरिक्स - विद्यापति har jani bisrab mo mamita lyrics

हर जनि बिसरब मो ममिता, हम नर अधम परम पतिता। 

तुम सन अधम उधार न दोसर, हम सन जग नहिं पतिता॥ 

जम के द्वार जबाव कौन देब, जखन बुझत निज गुनकर बतिया। 

जब जम किंकर कोपि पठाए त, तखन के होत घरहरिया॥ 

भन विद्यापति सुकवि पुनित, मति संकर बिपरित बानी। 

असरन सरन चरन सिर नाओल, दया करु दिय सुलपानी॥ 

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