शुक्रवार, 12 अगस्त 2016

कामिनि करए सनाने लिरिक्स - विद्यापति

Kamini Kare Sanane

कामिनि करए सनाने। 
हेरितहि हृदय हनए पँचबाने॥ 

चिकुर गरए जलधारा। 
जनि मुख-ससि डरें रोए अँधारा॥ 

कुच-जुग चारु चकेवा। 
निअ कल मिलत आनि कोने देवा॥ 

ते संकाएँ भुज-पासे। 
बाँधि धएल उड़ि जाएत अकासे॥ 

तितल बसन तनु लागू। 
मुनिहुक मानस मनमथ जागू॥ 

सुकवि विद्यापति गावे। 
गुनमति धनि पुनमत जन पावे॥ 

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