शुक्रवार, 16 सितंबर 2016

कि कहब है सखि आजुक विचार लिरिक्स - विद्यापति

Ki Kahab Hai Sakhi Aajuk Vichar

कि कहब है सखि आजुक विचार। 
से सुपुरुष मोहि कएल सिंगार(?)॥ 

हँसि-हँसि महु आलिंगन देल। 
मनमथ अंकुर कुसुमित भेल॥ 

आँचर परसि पयोधर हेरु। 
जनम पंगु जनि भेटल सुमेरु॥ 

जब निबि-बंध खसाओल कान। 
तोहर समथ हम किछु नहि जान॥ 

रति-चिन्हे जानल कठिन मुरारि। 
तोहर पुने जीअलि हमे नारि॥ 

कह कवि-रंजन सहज मधुराई। 
न कह सुधामुखि गेल चतुराई॥ 

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