शुक्रवार, 15 जुलाई 2016

नाहि करब बर हर निरमोहिया लिरिक्स - विद्यापति - Nahi Karab Bar Har Nirmohiya Lyrics

नाहि करब बर हर निरमोहिया। 

बित्ता भरि तन बसन न तिन्हका,
बघछल काँख तर रहिया॥ 

बन-बन फिरथि मसान जगावथि,
घर आंगन उ बनौलन्नि कहिया। 

सास ससुर नहिं ननद जेठौनी,
जाए बैठति धिया केकरा ठहिया॥ 

बढ़ बरद, ढकढोल मोल एक, 
संपति भाँगक झोरिया। 

भनइ विद्यापति सुन हे मनाइन,
सिब सन दानि जगत के कहिया॥ 

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