शुक्रवार, 15 जुलाई 2016

सुन-सुन सुंदर कन्हाई लिरिक्स - विद्यापति

Pahile badri kuch pun nawrang 


सुन-सुन सुंदर कन्हाई। 
तोहि सोंपलि धनि राई॥ 

कमलिनि कोमल कलेबर। 
तुहु से भूखल मधुकर॥ 

सहज करह मधु पान। 
भूलह जनि पँचबान॥ 

परबोधि पयोधर परसह। 
मधुकर जइसे सरोरुह॥ 

गनइत मोतिम हारा। 
छलें परसब कुच भारा॥ 

न बुझए रति-रस-रंग। 
खन अनुमति खन भंग॥ 

सरिस-कुसुम सम तनु। 
थोरि सहब फुल-धनु॥ 

विद्यापति कवि गाब। 
दूतिक मिनति तुअ पाब॥ 

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