नारी रूप में कृष्ण वचन
कहे सुनु सखी मोर छीपल हैत हितचोर ।
सुनु हमरो निहोर पनिघटबा पर ।।
सब चीर-चोली लाउ सब जल धसि जाउ
हरि के छल से बजाउ पनि ।।
देखि ककरो ने साथ लग औता यदुनाथ
हम धय लेब हाथ पनि ।।
सखि हँसत भभाय थिक असल उपाय
देखब जाय न पराय पनि ।।
सब सुनि तदवीर सखि देल चोली-चीर
धसि गेल सब नीर पनि ।।
चीर-चोली के समेटि लेल अंग मे लपेटि
कहथि करैत रहु भेट पनि ।।
हरि देल पिहकार गेला कदम के डार
गोपी धुनथि कपार पनि ।।
पूछे यशोदा के लाल कह अपन हवाल
हमरा बूझल गमार पनि ।।
गोपी कहथि कर जोड़ि सुनु हमर निहोर
नहि लेल किछु तोर पनि ।।
सुनु लाला बुधियार दिअऽ सड़िया हमार
गुण मानब तोहार पनि ।।
कहे कुमर कन्हाइ सुनु गोपी समुदाइ
इहे हमर कमाइ पनि ।।
सब गोपी हरजाइ कहियो खेबा न चुकाइ
आइ एके बेर पार पनिघटवा पर।।
सुनु कुमर कन्हाइ खेबा केहन चुकाइ
कोन तोहरो कमाइ पनि ।।
बाजी बात न सम्हारि करी उल्टे अराड़ि
हम करी घटवारि पनि ।।
गेली गोपी खिसिआय कहब यशोदा के जाय
करब तोहरो उपाय पनि ।।
सुनु गोपी हमर बात साड़ी भेटत परात
तावत भीजु सारीरात पनि ।।
आउ जलसँ बहार मांगु हथबा पसार
करु सेवा के करार पनि ।।
गोपी जनि कदराउ छोडु लाज न लजाउ
तखन साड़ी लेने जाउ पनि ।।
गोपी करथि विचार छौड़ा परम छिनार
आइ कयलक उघार पनि ।।
सभ गोपी हिया हारि भेली जल से बहार
कान्हा देल हहार पनि ।।
गोपी सकल लजाय गेली लाजे कठुआय
एको चलल न उपाय पनि० ।।
जब देखल यदुवीर गोपी परम अधीर
छोड़ि देल चोली चीर पनि ।।
सब प्रमुदित भेल अपन चीर चीन्हि लेल
लीला गायब कपिलदेव पनि ।।
कहे हरि घर जाउ गोपी सब दिन आउ
खेबा एहिना चुकाउ पनिघटवा पर ।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
अपन रचनात्मक सुझाव निक या बेजाय जरुर लिखू !