जयबइ आजु सामर गोरिया हे यमुना के तीर ।।
नन्द के लाला मुरलीवाला नाम जकर यदुवीर ।।
छल से बजायब लग मे बैसायब करब अपन तदवीर ।।
फाड़ि मांग, टीका पहिरायब एक चीर ।।
सब गोपी मिलि रास मचायब होयता श्याम अधीर ।।
गगरी भरि-भरि चलि-चलि देबनि तनिक न तकबनि फीर ।।
कपिलदेव होशियारी राखब बुड़बक जाति अहीर ।।
सुनु आगू के बयान लीला सरस महान
हरि परम सुजान परिघटबा पर
पुनि गेली यमुना तीर गोपी भेली अधीर
आजु नहि यदुवीर पनिघटबा पर।।1।।
देखि गोपी समुदाय हरि रहल नुकाय
एक सोचल उपाय पनिघटबा पर।।2।।
भेष नारि के बनाय मिलि गेल यदुराय
नहि पड़ल बुझाय पनिघटबा पर ।।3।।
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