क्षमा करू जगदम्बे मईया
केने बड़ अपराध छी
निर्बल सन्तानक रक्षक हे
माई अहाँ निर्बाध छी
भजन भाव कहियो नै केलौ
फस क अहि जनजाल मे
जीवन भर ओझरैले रहलौं
व्यर्थक माया जाल मे
दयामयी दि सरण अपन अछि
दु पल के ई राज की
निर्बल सन्तानक रक्षक हे
माई अहाँ निर्बाध छी
क्षमा करू जगदम्बे मईया
विपदिक मारल कण्ठ न खूजै
अहाँ बिना हम जाऊ कतै
अहिं कहु हे माई अहाँ बिनु
दोसर अछि के माई एतए
गाबि सकै ने गीत अहाँ के
से कण्ठक सुर साज की
निर्बल सन्तानक रक्षक हे
माई अहाँ निर्बाध छी
क्षमा करू जगदम्बे मईया
काम क्रोध मद मोह लोभ सं
जर जर अछि पापी काया
मुदा अहिं छी असुर भयावनी
भक्त उबारिणी जग माया
विपदही मे जीवन जौं बितै
तैं जीवन के काज की
निर्बल सन्तानक रक्षक हे
माई अहाँ निर्बाध छी
क्षमा करू जगदम्बे मईया
महीखा मर्दनी विघ्न विनाशिनी
शिवा भवानी तारा छी
सरणागत हम चरण चंद्रमणि
मईया अहिं सहारा छी
तारू नहीं हे माई सरन सं
राखु हमरो लाज इ
निर्बल सन्तानक रक्षक हे
माई अहाँ निर्बाध छी
क्षमा करू जगदम्बे मईया
गीतकार: चंद्रमणि झा
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