Mata Sharada Ke Sharani Ja Ja Lyrics
माता शारदा के शरणि' जा जा मनुआँ ।। टेक ।।
क्षीर नीर के भेद बताबथि जनिकर हंस सवारी
जिनका पदरज मणिसँ होयत मानस के उजियारी
मेटय जीवन के दुर्गनि
विद्या अओर अविद्या फेंटल ई जग गोरखधंधा
ज्ञानी भवस पार उतरता, मरत ज्ञान केर अंधा
मूरख, काज न अयतौ दुनिया
तीन भुवन सुर-नर-मुनि ज्ञानी तोरेटा गुण गायब
कृपा अहाँके पाबि केओ जन, जीवन केर फल पाबय
सुमिरब हरदम तोर चरणि
विद्यादानी गिरा भवानी शारद वीणापाणी
उर अंतर मे ज्योति जराबू स्नेहलता अज्ञानी
गाबथि हरदम तोर भजनि
रचना: स्नेहलता
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