बिलमि जो गुजरिया एहि मिथिलाक धाम गै
तोहरा लै खाली गाछक मड़ैया
स्वागत तोहर कऽ रहलौ चिरैया
एतय अशोक, शोक हरइछ सबहक
डूबल सेनूर मे सुरुज भगवान गै।
अपना सिनेहक दियरा जरायब
दूबिक नरम सेज तोहरा सुतायब
सिरमा मे सीता बीयनि डोलौथुन
सपनहुँ मे रहथुन दहिन भऽ राम गै।
कोइली आ भँवरा पराती सुनौतौ
शीतल पवन आबि तोहरा जगौतौ
कोशी नहाय गोरी, गंडक नहइहें
एतहि बहैत अछि कमला-बलान गे।
सस्ते मखान-पान हॅसि-हँसि क' खैहें
गंगाकेर जल पीबि युग-युग जुड़े हैं
हिमालय केर आँगन फुले पहरुआ
शिवकेर सासुर आ गौरी केर गाम गै।
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