भारतीय धर्म दर्शन के सबसँ शिखर पर पहुंचौनिहार आदि शंकराचार्य एकटा साधारण मुदा बुद्धिमान स्त्रीगण सँ एकटा बहस मे हारी गेल छलखिन। मिथिलाक ओहि स्त्रीगणक नाम छलनी 'भारती'। महाकवि मंडन मिश्र केर पत्नी भारती मिथिलांचल मे कोसी नदीक कात स्थित एकटा गांव महिषि मे रहैत छलीह।
२२ वर्षक अवस्थे मे भारती चारु वेद, शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष, सांख्य, न्याय मीमांशा, धर्मशास्त्र और साहित्य के अध्ययन कऽ लेने छलीह।
शंकराचार्य आ भारती के कतेको दिन धैर शास्त्रार्थ होइता रहल। एकटा महिला होबाक पश्चातो ओ शंकराचार्य के सब सवाल के जवाब देलनी। ओ ज्ञानक मामला मे शंकराचार्य सँ कनिको कम नै छलीह, मुदा 21मा दिन भारती के इ लगलनि जे आब ओ शंकराचार्य सँ हाइर जेतिह। 21मा दिन भारती एकटा एहन प्रश्न कऽ देलनी जे, जेकर व्यावहारिक ज्ञानक बिना देल गेल शंकराचार्य केर जवाब अधूरा भुझल जेतनी।
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२ - गार्गी वाचक्नवी - Gargi Vachanvi
मिथिला के विदुषी गार्गी वाचक्नु ऋषि केर पुत्री छली। अतः हुनक पूरा नाम गार्गी वाचक्नवी छलनी। वेद आ उपनिषद मे उच्चस्तरीय ज्ञान राखयबाली गार्गी अपन समकालीन पुरुष दार्शनिक के समकक्ष या हुनका सँ बेसी ज्ञानवती मानल जाइत छली। गार्गी के मिथिलाक राजदरबार के नवरत्न मे स्थान प्राप्त छलनी। ओ काल मिथिला मे विद्वता के स्वर्णकाल छल। राजा जनक द्वारा जनकपुर मे आयोजित ज्ञान सभा मे गार्गी आ गुरु याज्ञवल्क्य केर संगे भेल शास्त्रार्थ बहुते प्रख्यात अछि।
मिथिला के विदुषी गार्गी वाचक्नु ऋषि केर पुत्री छली। अतः हुनक पूरा नाम गार्गी वाचक्नवी छलनी। वेद आ उपनिषद मे उच्चस्तरीय ज्ञान राखयबाली गार्गी अपन समकालीन पुरुष दार्शनिक के समकक्ष या हुनका सँ बेसी ज्ञानवती मानल जाइत छली। गार्गी के मिथिलाक राजदरबार के नवरत्न मे स्थान प्राप्त छलनी। ओ काल मिथिला मे विद्वता के स्वर्णकाल छल। राजा जनक द्वारा जनकपुर मे आयोजित ज्ञान सभा मे गार्गी आ गुरु याज्ञवल्क्य केर संगे भेल शास्त्रार्थ बहुते प्रख्यात अछि।
३ - मैत्रेयी - Maitrey
मिथिला के राजा जनक केर दरबार मे मैत्री नमक एकटा मंत्री छलैथ जिनकर पुत्री मैत्रेयी ज्ञान पिपासु छलनी। हुनका भौतिक संपत्ति मे कुनो रूचि नै छलनी। ओ एकटा सुविख्यात ब्रह्मवादिनी स्त्री छलीह। ओ ब्रह्मवाह केर पुत्र याज्ञवल्क्य महर्षि केर पत्नी छलीह।
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महर्षि सँ उपदेशित भ के ओ नारी सँ नारायणी के श्रेणी मे आबि गेली और श्रेस्ट नारीक रूप मे विख्यात भेलीह। ओ अमरत्व प्राप्त क ब्रह्मवादिनी बनी कऽ अनंत ब्रह्माण्ड मे स्थान प्राप्त कऽ सब गोटे के लेल आदर्श बनी गेलीह।मैत्रेयी एकटा मैत्रेयी उपनिषद लिखलनि। मैत्रेयी उपनिषद मे ओ लिखै छथि - तपस्या सँ मनुष्य अच्छाइ के प्राप्त करैत अछि अच्छाई सँ मस्तिष्क पर पकड़ बनैत अछि मस्तिष्क सँ स्वयं के साक्षात्कार होइत अछि और स्वयं सँ साक्षात्कार मुक्ति।
४ - लखिमा देवी - Lakhima Devi
लखिमा देवी (ललिमादेई) मिथिला के एकटा पराक्रमी राजा शिवसिंह केर पटरानी छलीह। अपन पति केर युद्ध मे मृत्यक उपरांत ओ १५१३ ई० धैर मिथिला पर शासन केने छलीह। इतिहासकारक मत अछि जे लखिमा रानी के पश्चात ओईनवार वंश नेतृत्वविहीन भऽ गेल। रानी लखिमा देवी कठिन प्रश्नक उत्तर बुझबाक हेतु समय - समय पर पंडित के महासभा आयोजित करैत छलीह। अहि परम विदुषी नारी के न्याय और धर्म शास्त्र मे पांडित्य प्राप्त छलनी।
ओ 'पदार्थ चन्द्र’ , 'विचार चन्द्र’ एवं 'मिथक्षरा वाख्यान’ नामक पुस्तक के रचना केलनि। महाकवि विद्यापति द्वारा रचित लगभग २५० गीत मे हुनक वर्णन अछि। महाकवि विद्यापति शिवसिंह केर देहांतक उपरांत बहुते दिन धैर ओ लखिमा देवी के संग राजबनौली मे रहल छलैथ।
कालिदास केर महाकवि बनोनिहार 'विद्योत्तमा' उज्जयिनीक राजा शारदानन्द के पुत्री छलीह। ओ परम सुंदरी और विदुषी नारी छलीह। बड़का बड़का पंडित के हरोनिहार विद्योतामा के किछु धूर्त पंडित सब षड्यंत्र सँ मौन शास्त्रार्थ द्वारा कुंठित विद्वान सब काली दास जे कि एकटा महामुर्ख छलथि हुनका संगे करा देलनी।
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कालिदास द्वारा रचित 'कुमार संभव‘ के अपूर्ण अंश के विद्योत्तमा बाद मे पूर्ण केलनि। संस्कृतक एकटा और महाकाव्य 'रघुवंश’ के सेहो संपादन विद्योत्तमा द्वारा कैल गेलनि।
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