सोमवार, 7 अगस्त 2017

छः हजार साल पुरान अछि रक्षा बंधन के इतिहास!

मिथिला धरोहर : रक्षा बंधन भाई-बहिनक प्रेम प्यारक पर्व अछि, एकटा मामूली सन डोरा जेखन भायक हाथ पर बांधई छथि त भाई अपन बहिनक रक्षा लेल अपन प्राण न्योछावर करवाक लेल तैयार भ जाइत छथि।

अहाँ जानय छी जे रक्षाबंधन के इतिहास बहुते पुराना अछि, जे सिंधु घाटी सभ्यता सँ जुड़ल अछि। असल मे रक्षाबंधन केर परंपरा ओ बहिन देने छलथि जे सगी नय छलथि, भले ही ओ बहिन अपन संरक्षणक लेल एही पर्व के शुरुआत किया नय केनय हो, मुदा ताहि दुआरे आय एही पावनिक मान्यता बरकरार अछि


इतिहासके4 पन्ना के देखव त एही पावनिक शुरुआत 6 हजार साल पहिले मानल जाइत अछि। एकर बहुते साक्ष्य सेहो इतिहासक पन्ना मे दर्ज अछि। रक्षाबंधनक शुरुआतक सबसँ पहिले साक्ष्य रानी कर्णावती और सम्राट हुमायूं केर अछि। मध्यकालीन युग मे राजपूत और मुस्लिम केे बीच संघर्ष चैल रहल छल, तेखन चित्तौड़ के राजा के विधवा रानी कर्णावती गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह सँ अपन आ अपन प्रजा के सुरक्षा के हुनो रस्ता नय निकलैत देख हुमायूं के राखी भेजलथि। तखन हुमायू हुनक रक्षा क हिनका बहिनक  दर्जा देने छलथि।


इतिहासक एकटा दोसर उदाहरण कृष्ण और द्रोपदी के मानल जाइत अछि। कृष्ण भगवान राजा शिशुपाल के मारने छलथि। युद्ध के दौरान कृष्ण के बामा हाथके उंगड़ी सँ खून बैह रहल छल, यैह देख द्रोपदी बहुते दुखी भेली और ओ अपन साड़ीके टुकड़ा चीर क कृष्ण केर उंगड़ी मे बैंध देलथि, जाहिसँ हुनकर खून बहनाय बंद भ गेलनि। कहल जाइत अछि जे ताहि समय सँ  कृष्ण भगवान द्रोपदी केर अपन बहिन स्वीकार क लेने छलखिन। बहुते सालक उपरांत जेखन पांडव द्रोपदी के जुआ मे हारि गेल छला और भरल सभा मे हुनक चीरहरण भ रहल छल, तखन कृष्ण जी द्रोपदी के लाज बचेने छलखिन।

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