मिथिला धरोहर : भाई-बहिनक प्रेमकऽ प्रतीक भरदुतिया (भ्रातृ द्वितीया) कऽ पर्व दीवाली कऽ दू दिनक बाद, कार्तिक मासक शुक्ल पक्ष केर द्वितीया तिथि केँ मनाओल जाईत अछि। एही पर्व में बहिन भाई केँ निमंत्रण दऽ केँ अप्पन घर बजावैत छथि। अरिपन बना कऽ पिड़ही पर भाई केँ बैसायल जाईत अछि। ललाठ पर पिठार आ सिंदुरक ठोप कऽ, पान सुपारी भाई केँ हाथ में दकेँ बहिन एही पन्ती केँ उचारण करैत छथि -
आ हुनक दीर्घायु जीवनक कामना यमराज सँ करैत छथि, फेर भाई केँ मुंह मिठ कैल जाईत अछि। भाई अप्पन सामर्थ्यक अनुसार बहिन केँ उपहार प्रदान करै छैथ। कहल जाईत अछि जे यमराजक बहिन कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया केँ हुनका निमंत्रण देने छला। ताहि सँ यमराज प्रसन्न भेल छला। तहिआ सँ इ प्रथा चली रहल अछि। मिथिलांचल में इ पर्व घरे-घर उल्लासक संग मनाओल जाईत अछि।
Bhardutiya 2025 Date | Thursday 23 2025 (मैथिली पञ्चांग अनुसार)
हिन्दु धर्म में ई किस्सा प्रचलित अछि कि यम केर बहीन यमुना छलिह। यमुना अपन भाई केँ कतेको बेर अपना ओहिठाम एबाक निमंत्रण पठौलनि मुदा संयोगवश यम नहि जा पबैत छलाह। आख़िरकार एक दिन यम अपन बहिन यमुनाक ओहिठाम पहुँचलाह आ ओ दिन कार्तिक शुक्ल द्वितियाक छल। यमुना अपन भाई के खूब स्वागत सत्कार केलनि और स्वयं भांति-भांति केर व्यंजन बना अपन भाई यम केँ भोजन करेलन्हि, यम प्रसन्न भs यमुना केँ वर मांगबाक लेल कहलनि। बहिन भाई सौं वरदान मंगलैन कि “जे भाई अपन बहिन के घर अहि दिन जेताह हुनका नरक या अकाल मृत्यु प्राप्त नहीं होइन।” ताहिया सँ ई दिन भरदुतिया के रूप में मनाओल जैत अछि ।
"जमुना नौतलनि जम के, हम नोतै छी अपन भाई के जहिना जहिना गंगा-यमुना केँ धार बहय, हमर भाई सबहक औरदा बढ़य"
आ हुनक दीर्घायु जीवनक कामना यमराज सँ करैत छथि, फेर भाई केँ मुंह मिठ कैल जाईत अछि। भाई अप्पन सामर्थ्यक अनुसार बहिन केँ उपहार प्रदान करै छैथ। कहल जाईत अछि जे यमराजक बहिन कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया केँ हुनका निमंत्रण देने छला। ताहि सँ यमराज प्रसन्न भेल छला। तहिआ सँ इ प्रथा चली रहल अछि। मिथिलांचल में इ पर्व घरे-घर उल्लासक संग मनाओल जाईत अछि।
Bhardutiya 2025 Date | Thursday 23 2025 (मैथिली पञ्चांग अनुसार)
हिन्दु धर्म में ई किस्सा प्रचलित अछि कि यम केर बहीन यमुना छलिह। यमुना अपन भाई केँ कतेको बेर अपना ओहिठाम एबाक निमंत्रण पठौलनि मुदा संयोगवश यम नहि जा पबैत छलाह। आख़िरकार एक दिन यम अपन बहिन यमुनाक ओहिठाम पहुँचलाह आ ओ दिन कार्तिक शुक्ल द्वितियाक छल। यमुना अपन भाई के खूब स्वागत सत्कार केलनि और स्वयं भांति-भांति केर व्यंजन बना अपन भाई यम केँ भोजन करेलन्हि, यम प्रसन्न भs यमुना केँ वर मांगबाक लेल कहलनि। बहिन भाई सौं वरदान मंगलैन कि “जे भाई अपन बहिन के घर अहि दिन जेताह हुनका नरक या अकाल मृत्यु प्राप्त नहीं होइन।” ताहिया सँ ई दिन भरदुतिया के रूप में मनाओल जैत अछि ।
इहो पढ़ब:-
ओना तs कार्तिक शुक्ल द्वितया केँ समूचा देश मे भाई के पर्व मनाओल जैत अछि कतौ भाई दूज त कतौ किछु और, मुदा मिथिला में अहि पर्व केँ भरदुतिया कहल जैत अछि। अहि दिन भाई अपन बहीन के ओहिठाम जैत छथि, जकरा अपना मिथिला में नोत लेनाइ कहल जैत अछि। अहि दिन सब बहिन केँ अपन भाइ केर अयबाक इंतज़ार रहैत छैन। बहिन अपना आंगन में अरिपन दs भाई के लेल आसन बिछा, एकगोट पात्र में सुपाड़ी, लौंग, इलाइची, पानक पात, कुम्हरक फूल, मखान आ सिक्का भरि रखैत छथि। संगहि एक गोट बाटी में पिठार, सिन्दूर और एक लोटा जल सेहो रखैत छथि।
इहो पढ़ब:-
भाई अप्पन दुनु हाथ कs जोइड़ आसन पर बैसैत छथि और बहिन हुनका हाथ पर पिठार लगा हाथ में पान, सुपारी इत्यादि दs नोत लैत छथि और बाद में ओकरा ओहि पात्र में खसा हाथ धो दैत छथीन्ह। एवं प्रकार सँ तीन बेर नोत लेल जैत अछि और भाई केँ पिठार आ सिन्दूरक तिलक लगा मधुर खुआओल जैत अछि । यदि भाई जेठ भेलाह तs हूनकर पैर छूबि प्रणाम करैत छथि और छोटभेलाह तs भाई बहिनक पैर के छूबि प्रणाम करैत छथि. भाई बहिनक प्रेमक अद्भुत पर्व थिक ई भरदुतिया।
Tags : # bhardutiya # bhaiya dooj
Tags : # bhardutiya # bhaiya dooj


बढ़िया जानकारी।
जवाब देंहटाएं