शुक्रवार, 8 अप्रैल 2016

मैथिली कविता : आब दुख कतेक हम सहबै !

गाम छोईर बसी गेल दिल्ली,
लोग उराबय छै हमर खिल्ली।
छोईर गेल हमरा ओ बेटा,
नाक'कऽ जेकर हम पोछूलौं नेटा।
पेट पर हम जेकरा सुतेलौं,
सैख मनोरथ सबटा पुरेलौं।
ओकरा बिनु कोना हम रहबै,
आब दुख कतेक हम सहबै!

जेकरा लेल हम केलौं जितिया,
दऽ गेल हमरा कतेक बिपतिया।
छाती के हम दूध पियेलौं,
कोरा मे हम जेकरा झुलेलौं।
वैह बनल छै आय निठोहर,
बाट ताकि हम तीनो पहर।
मोनक बात हम केकरा कहबै,
आब दुख कतेक हम सहबै!

खेत - पथारी परता परल,
सौख मनोरथ सबटा जरल।
मुह मे अपन बैन्ह हम जाबि,
निक निकुइत ओकरा खुआबि।
ओकरा ऐबा के बाट हम ताकि,
इंतजार करैत बज्जर भेल छाती।
नोरे - झोरे हम कानी रहल छी,
आयत घुरि हम जानि रहल छी।
अपन बिरोग हम केकरा कहबै,
आब दुख कतेक हम सहबै!
© प्रभाकर मिश्र

Tags : # Maithili Kavita, Maithili Poems



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