1. एक फुल और एक हाफ टिकट दिय...
एक बेर नबल अपना माँ के संगे फिल्म देखे के लेल गेला और टिकट काउंटर पर......
नबल टिकट वला सऽ : भय साहिब एक फुल और एक हाफ टिकट दिय,
टिकट वला : फुल ककरा लेल और हाफ ककरा लेल,
नबल : फुल माँ के लेल और हाफ हमरा लेल,
टिकट वला : आहा के मूंछ (मोछ) भऽ गेल हम अहू अपन फुल टिकट लियो,
नबल : ठीक या तऽ एक फुल और एक हाफ टिकट दिय, किया की हमरा माँ के मूंछ नहीं भेले हन।
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2. भाईजी हमरा माफ़ करब....
मूर्खाधिराज चन्दन भाय के गाम मऽ कियो पढ़ल-लिखल नै छैन्ह। गलिमत एहेन जे हुनका गाम मs यदि किनको चिट्ठी आबैत छैन्ह तें ओ ओकरा पढ़ेबाक लेल बगल के गाम जैत छैथ।
बियाहक किछे दिनक बाद चन्दन भाय कऽ चंद्रमुखी भौजी के चिट्ठी मिलल।
चन्दन भाय चिट्ठी लेना हलसल-फुलसल बगल के गाम मऽ प्रफुल्ल भैया लग पढ़ेबाक लेल पहुचला।
प्रफुल्ल भैया जहिना चिट्ठी पढ़ब सुरु केलखिन चन्दन भाय झब दके हुनकर दुनु कान मऽ अपन आंगुर (ऊँगली) गोजाइर् देलखिन।
चन्दन भाय (प्रफुल्ल भैया) सऽ : भाईजी हमरा माफ़ करब, हम बुझैत छि जे अपनेक कान मऽ बहुत पीड़ा होइत हेत। मुदा कि करी ? हम चाहैत छि जे हमर कनियाँ के प्रेमक रस मऽ डुबल हुनकर पहिल चिट्ठी हमरा सीवा आरो कियो नै सुनैथ। ताहि लेल अपनेक कान मऽ आंगुर गोजारने छि।
बहुत निक लागेत अछि अहाँ के रचना सब।
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