मिथिला धरोहर : अहि बेर मिथिलाक लोकपर्व कोजागरा आ लक्ष्मी पूजा पूर्ण अमृत योग मे आबि रहल अछि। 15 अक्तूबर के शैनदिन कोजागरा आ लक्ष्मी पूजा अछि। पंडित कहलखिन जे अहि बेरा आश्विन मास शुक्ल पक्ष के पूर्णिमा तिथि के लक्ष्मी पूजा आ कोजागरा अछि। 122 बरखक उपरांत इ पूर्ण अमृत योग मे पैड़ रहल अछि। शैनदिन के उदयकाल मे चतुर्दशी तिथि मे रहत, जे सब तरहक सिद्धि के प्रदान करय वला शैन होइत अछि।
मान्यता अछि जे पूर्णिमा तिथि के भगवान श्रीकृष्ण अपन 64 कला के महारास केने छलथि। अहिमे ब्रह्मांड केर सब देवी-देवता भाग लेने छलथि। एते तक जे भगवान शिव सेहो अहि नृत्य मे शामिल भेल छलथि। ओहि राति माता राधा रानी लक्ष्मी केर रूप मे अमृतवर्षा कऽ रहल छलखिन।
धर्म शास्त्र मे अहि दिन के 'कोजागरा व्रत' मानल गेल अछि। जिनकर बियाह सालक भीतर होइत छैक ओ नव विवाहित दम्पत्ति के कोजगरा होईत अछि। कोजागरा के शाब्दिक अर्थ अछि - के जैग रहल? मान्यता अछि जे अहि राति मे माँ लक्ष्मी के उपासना फलदायी होइत छैक।
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