मिथिला धरोहर : शास्त्र मे नवरात्रि के अवसरा पर कुमाइर (कन्या) पूजन आ कुमाइर भोज के अत्यंत महत्वपूर्ण कहल गेल अछि। नवरात्रि मे देवी माँ के सब साधक कुमाइर के माँ दुर्गा के दोसर रूप मैइन हुनक पूजा करै छथि। विशेष कऽ कलशस्थापना करै वला और नौ दिन कऽ व्रत राखय वला के लेल कुमाइर भोज के बहुते महत्वपूर्ण मानल गेल अछि।
किछ लेख'कऽ अनुसार, भविष्यपुराण आ देवीभागवत पुराण मे कुमाइर (कन्या) पूजनक वर्णन कैल गेल अछि। अहि वर्णन कऽ अनुसार नवरात्रि के पर्व कुमाइर भोज के बिना अधहां अछि। कुमाइर पूजा नवरात्रि पर्व के कुनो भी दिन या कखनो भी कैल जा सकैत अछि। मुदा पौराणिक कथा के अनुसार, नवरात्रि के अंतिम दू दिन अष्टमी आ नवमीं के कुमाइर पूजनके श्रेष्ठ दिन मानल गेल अछि।
नौ टा कुमाइर के कैल जाइत अछि भोज-
कहल जाइत अछि जे कुमाइर पूजन के लेल दू सँ दस साल के कुमाइर के बहुते शुभ मानल गेल अछि। कथा मे कहल गेल अछि जे कुमाइर भोजक लेल आदर्श संख्या नौ टा होइत अछि।ओना अपन श्रद्धा अनुसार कम या बेसी कुमाइर के सेहो भोजन करा सकै छी।
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कुमाइर भोजक लेल जे नौ टा कुमाइर बजायल जाइत अछि हुनका माँ दुर्गा केर नौ रूप मैन के पूजल जाइत अछि। कथा मे कुमाइर के उम्र के अनुसार हुनका नाम सेहो देल गेल अछि। जेल दू वर्षक कुमाइर के कन्या कुमारी, तीन सालक कुमाइर के त्रिमूर्ति, चाइर सालक कुमाइर के कल्याणी, पांच सालक कन्या के रोहिणी, छह सालक कुमाइर के कालिका, सात सालक कुमाइर के चंडिका, आठ सालक कुमाइर के शाम्भवी, नौ सालक कुमाइर के दूर्गा आ दस सालक कुमाइर के सुभद्रा केर स्वरूप मानल जाइत अछि। यैह कारण अछि जे कुमाइर भोज या कुमाइर पूजन के लेल दस साल सँ कम उम्र के बालिका के महत्वपूर्ण मानल जाइत अछि।
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पूजाक विधि-
प्रातः काल स्नान कऽ के प्रसाद मे खीर, पूरी, और हलुआ आदि तैयार करवा के चाही। एकर उपरांत कुमाइर के बजा कऽ शुद्ध जल सँ हुनकर पैर (पांव) धोबाक चाहि। कुमाइर के पैर धोला के उपरांत हुनका साफ आसन पर बैसेबाक चाहि। कुमाइर के भोजन परोसबा सँ पहिले माँ दुर्गा के भोग लगेबाक चाहि और फेर एकर बाद प्रसाद स्वरूप मे कुमाइर के ओ खुएबाके चाहि। भोजन करेबा सँ पहिले सिंदूरक ठोप लगा दिओ। नौ टा कुमाइर के एक संगे एकटा छोट कुमार (बालक) के सेहो भोज करेबा के प्रचलन अछि। बालक भैरव बाबा के स्वरूप या लंगूर कहल जाइत अछि। कुमाइर के भैरपेट भोजन करेबाके बाद अपन सामर्थ्य अनुसार हुनका रुपया या वस्त्र भेंट कऽ और हुनक पैर छूय के आशिर्वाद प्राप्त कऽ लिअ। अहाँ के सबटा मनोकामना पृर्ण हैत।
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